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BJP ने क्यों खेला साइना पर दांव? जानें गणित

प्रेमदेव शर्मा, मेरठदिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटिंग (8 फरवरी) से पहले बैडमिंटन स्टार ने जॉइन कर सबको चौंका दिया। अपनी बड़ी बहन के साथ बीजेपी में शामिल होकर साइना ने कहा कि बीजेपी में शामिल होने की वजह पीएम नरेंद्र मोदी हैं, जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलती है। हालांकि, इसके पीछे बीजेपी की कुछ और ही रणनीति है। सवाल यह भी उठता है कि बीजेपी ने साइना नेहवाल पर क्यों दांव लगाया है? दरअसल, साइना नेहवाल जाट बिरादरी से आती हैं। साइना के पिता मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत के रहने वाले हैं। वह हिसार में नौकरी करते थे। इस तरह से साइना का उत्तर प्रदेश और हरियाणा दोनों राज्य से रिश्ता है। पश्चिमी यूपी की 7 लोकसभा और दो दर्जन विधानसभा सीटें जाट बहुल इलाके में आती हैं। हरियाणा में जाट कितने अहम हैं इसका पता बीजेपी को इस बार के विधानसभा चुनाव में लग चुका है। ऐसे में जानकार साइना के बीजेपी में एंट्री के सियासी गुणा-गणित तलाशने में जुट गए हैं। यूपी और हरियाणा में जाट बड़ी ताकत दरअसल, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बीते पांच दशकों में जाट लगातार बड़ी राजनीतिक ताकत रहे। 2014 आम चुनाव में भी इस एकजुटता को झटका लगा था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में साफ हो गया कि जाट राजनीति के अब उस तरह से केंद्र नहीं रहे जैसा अतीत में उनके पास ताकत थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में चरण सिंह के परिवार की राजनीति के अंत की पटकथा भी लिख दी। इस सिक्के का दूसरा पहलू ये रहा कि जाटों ने बीजेपी को अपनी ताकत का भी अहसास करा दिया। मुजफ्फरनगर, बागपत जैसे जाट राजनीति के केंद्र वाले इलाकों से बीजेपी जीत गई, लेकिन गौर करने वाली बात रही कि यह जीत बीजेपी के लिए इतनी आसान भी नहीं रही। बड़ी संख्या में जाटों ने गठबंधन उम्मीदवार को भी वोट दिया था। यहां तक कि जाट बहुल बिजनौर सीट से बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। सहारनपुर में भी जाट मुस्लिम का गठजोड़ बीजेपी के लिए नुकसानदेह रहा। जाटों को कितना लुभा पाएगी बीजेपी? दूसरी तरफ हरियाणा के विधानसभा चुनाव में एकजुट जाट ने बीजेपी को घुटनों पर ला दिया और उसे दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) जैसी नई पार्टी से गठबंधन को मजबूर कर दिया। जाटों की इस एकजुटता से बीजेपी समझ गई कि जाटों को पूरी तरह दरकिनार करना इतना आसान भी नहीं है। वेस्ट यूपी के राजनीतिक हालात पर गौर करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अजित सिंह और जयंत दोनों हार गए थे। हरियाणा में जिस तरह से जाटों ने रणनीतिक तरीके से वोटिंग की, अगर 2022 के यूपी विधानसभा में जाट मतदाता फिर से पूरी ताकत के साथ आरएलडी के पाले में रुख कर गए तो बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी नुकसान हो सकता है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि साइना नेहवाल को बीजेपी वेस्ट यूपी और हरियाणा में एक ऐसे चेहरे के रूप में पेश करेगी, जो जाट मतदाताओं को रिझा सके। वेस्ट यूपी में खेलों को लेकर दीवानगी जानकारों का कहना है कि वेस्ट यूपी में खेलों को लेकर युवाओं में दीवानगी है। बीजेपी साइना के सहारे ऐसे युवाओं को भी साधना चाहती है। खेल जगत में साइना जाना माना चेहरा हैं और भारत में बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है। साइना विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान हासिल करने वाली देश की पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। तीन बार की ओलंपियन साइना ने 2015 में शीर्ष रैंकिंग हासिल की थी। साथ ही वह बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं।


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