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स्मृति ऐक्टिव, गांधी फैमिली के खिलाफ क्या प्लान?

लखनऊ/अमेठी अमेठी और रायबरेली ये दो ऐसे इलाके हैं, जिनकी पहचान गांधी परिवार की राजनैतिक विरासत के रूप में रही है। लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव से यह परिपाटी बदली है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पहले तो स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को जबरदस्त टक्कर दी और फिर ठीक पांच साल बाद अगले लोकसभा चुनाव के दौरान गांधी परिवार के आंगन में 'तुलसी' (टीवी शो में स्मृति का निभाया किरदार) उग आईं। स्मृति ने राहुल को उनके गढ़ में मात देते हुए कांग्रेस को ऐसा झटका दिया जो बरसों उसे टीस देता रहेगा। पिछले हफ्ते ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली का दौरा किया। अब केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की बारी है। वह अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दौरे पर हैं। स्मृति ने खाली नहीं छोड़ा है मैदान अमेठी में जीत के बावजूद स्मृति इरानी ने अभी मैदान खाली नहीं छोड़ा है। यूपी में सबसे बड़ी राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता के तौर पर गांधी परिवार और स्मृति की जद्दोजहद जारी है। यही वजह है कि स्मृति लगातार अमेठी और रायबरेली में लोगों के स्मृति पटल पर छाई हुई हैं। प्रियंका और सोनिया ने 22 जनवरी को कांग्रेस के जिला और शहर अध्यक्षों के ट्रेनिंग कैंप में शिरकत की थी। भुएमऊ गेस्ट हाउस में कांग्रेस की विचारधारा और राजनीतिक दर्शन पर मंथन के साथ ही आरएसएस के बारे में भी एक बुकलेट बांटी गई थी। प्रियंका-सोनिया के इस दौरे को ज्यादा दिन नहीं बीते हैं। स्मृति गांधी परिवार के गढ़ पर कब्जा जमाने के बाद चैन से नहीं बैठी हैं। वह बीच-बीच में अमेठी का दौरा करते हुए अपनी सक्रियता दिखाती रहती हैं। गुरुवार को अमेठी में विकास योजनाओं के लोकार्पण के साथ ही रायबरेली के लालगंज में वह गंगा यात्रा में भी शिरकत करने जा रही हैं। जब स्मृति ने अर्थी को दिया कंधा बहुत से लोगों को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के ठीक बाद स्मृति की वह तस्वीर भी याद होगी, जब उन्होंने अपने करीबी सुरेंद्र प्रताप सिंह की अर्थी को कंधा दिया था। दरअसल सुरेंद्र की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। सुरेंद्र ने 2019 लोकसभा चुनाव में स्मृति के चुनाव प्रचार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उनको करीब से जानने वाले लोगों के मुताबिक कई गांवों में सुरेंद्र का खासा प्रभाव था, जिसका फायदा इस चुनाव में स्मृति इरानी को मिला। पढ़ें: कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को हराने का रेकॉर्ड गांधी परिवार के किले में यह करिश्मा बस मोदी लहर भर से नहीं हुआ। एक समय टीवी सीरियल में तुलसी के किरदार से छा जाने वाली स्मृति इरानी के अमेठी तक के सियासी सफर की कहानी दिलचस्प है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने 2019 में एक बार फिर राहुल गांधी को टक्कर देने की ठानी और गांधी परिवार के 50 साल पुराने गढ़ को जीत लिया। इस चुनाव में स्मृति ने अपने नाम अनोखा रेकॉर्ड भी दर्ज करा लिया। कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को हराने वाली स्मृति पहली बीजेपी कैंडिडेट हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 55,120 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। देखें: 5 साल में 63 दौरे, किराए के घर में ठहरीं स्मृति 2014 में हार के बावजूद अमेठी में विकास कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने लगातार दौरे करते हुए जनता के बीच आधार बनाया। करीब 60 दिनों तक स्मृति गौरीगंज में एक किराए के घर कृष्णा मैंशन में ठहरीं, जिसके मालिक राकेश गुप्ता हैं। 2014 से 2019 के दौरान स्मृति ने चुपचाप अमेठी के 63 दौरे किए। सबसे बड़ा मौका आया इस मार्च 2019 में जब पीएम मोदी ने अमेठी में आधुनिक क्लाशनिकोव-203 राइफलों के निर्माण के लिए बनी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का लोकार्पण किया। यह सब ऐसे वक्त में हो रहा था जब राहुल गांधी ने यूपीए के शासनकाल में मंजूर मेगा फूड पार्क योजना छीनने का आरोप लगाया था। पढ़ें: हार के एक महीने में ही लौटीं स्मृति प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान स्मृति पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया था कि वह अमेठी के लोगों को गरीब और भिखारी समझती हैं। कहीं न कहीं इस बयान ने अमेठी के उन लोगों की नाराजगी बढ़ाई जो पहले से ही गांधी परिवार के यहां कथित रूप से कम समय गुजारने की वजह से खफा थे। 2014 में अपनी हार के एक महीने के अंदर स्मृति यहां दोबारा लौटीं और गांव वालों के लिए यूरिया-अमोनिया खाद का इंतजाम सुनिश्चित कराया। अमेठी रेलवे स्टेशन पर एक रिजर्वेशन सेंटर खुला। इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री से अमेठी होते हुए उतरेटिया और वाराणसी के बीच रेल विद्युतीकरण का काम कराया। यही नहीं अमेठी-रायबरेली के बीच संपर्क मार्गों से लेकर नैशनल हाइवे और सैनिक स्कूल के लिए भी स्मृति ने पहल की। 2017 में अमेठी की 4 विधानसभाओं में जीती बीजेपी इसके बाद से स्मृति ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी विधानसभा का दौरा करती रहीं। यही वजह थी कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एसपी के गठबंधन को झटका देते हुए बीजेपी ने 4 विधानसभाओं पर कब्जा जमा लिया। अपने पूरे प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने स्थानीय विधायकों जैसे कि गरिमा सिंह, दल बहादुर, मयंकेश्वर शरण सिंह को तवज्जो देते हुए सभी जातियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया। अमेठी लोकसभा प्रभारी और यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने अपनी टीम में ऐसे कई लोगों को शामिल किया जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना या उज्ज्वला योजना जैसी स्कीम का फायदा पहुंचा। इसके साथ ही स्मृति ने बीजेपी के जिला प्रभारी दुर्गेश, गोविंद चौहान और शहर में बड़ी मसाला कंपनी चलाने वाले कारोबारी राजेश की जुगलबंदी की बदौलत लोगों की समस्याओं और शिकायतों तक सीधी पहुंच बनाई।


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