कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन ही इकलौता उपाय नजर आ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत में हर्ड इम्युनिटी की स्थिति 'बहुत दूर' है और उसके लिए वैक्सीन के लिए जरिए इम्यूनाइजेशन करना होगा। हेल्थ मिनिस्ट्री के अधिकारी राजेश भूषण ने कहा, "भारत जैसे बड़े देश के लिए हर्ड इम्युनिटी कोई रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकती... उसकी कीमत बहुत चुकानी पड़ेगी और वह सिर्फ वैक्सीनेशन से इम्यूनाइजेशन के जरिए ही हो सकती है।" उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी के साथ कोई डील नहीं की है लेकिन अब उनसे बातचीत हो रही है। दुनियाभर में करीब 25 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौर में हैं जिनमें से दो भारत की हैं। कोविड-19 वैक्सीन हासिल करने के लिए भारत अब मल्टीलैटरल मेकेनिज्म की तरफ देख रहा है। स्वदेशी वैक्सीन के क्लिनियल ट्रायल जारी हैं। हालांकि भारत ने अभी तक किसी लीडिंग वैक्सीन डेवलपर से सीधी बातचीत नहीं है। कोविड-19 वैक्सीन पर लेटेस्ट अपडेट क्या है, आइए जानते हैं।नीदरलैंड्स और अमेरिका में एक वैक्सीन के ट्रायल में बडी कामयाबी मिली है। वैक्सीन की एक सिंगल डोज से बंदरों में कोरोना वायरस संक्रमण को पूरी तरह रोकने में मदद मिली। वैक्सीनेशन के बाद लगभग सारे बंदरों में ऐंटीबॉडीज बनीं और T सेल्स की। जब वायरस से बंदरों को एक्सपोज कराया गया तो सारे बंदरों के फेफड़ों में इन्फेक्शन नहीं हुआ। छह में से पांच बंदरों की नाक में भी वायरस की मात्रा नहीं मिली।
अमेरिका, ब्रिटेन और चीन... इन तीनों देशों की एक-एक वैक्सीन दुनियाभर में सबसे आगे है। इन तीनों का इंसानों पर ट्रायल ऐडवांस्ड स्टेजेस में है। यूनाइटेड किंगडम की कंपनी अस्त्राजेनेका (AstraZeneca) और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना (Moderna) की वैक्सीन हासिल करने के लिए कई देशों में होड़ लगी है। इन दोनों कंपनियों ने कई सरकारों से वैक्सीन की भारी डोज सप्लाई करने का सौदा किया है।
'नेचर' जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्राजेनेका की वैक्सीन बंदरों को कोरोना इन्फेक्शन से बचाने में कामयाब रही है। इसी जर्नल की एक और स्टडी कहती है कि जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की वैक्सीन ने भी ऐसे ही नतीजे दिए। फिलहाल इन दोनों वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल चल रहा है। ऑक्सफर्ड की वैक्सीन जहां फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है वहीं J&J की वैक्सीन फेज 1 और 2 में है। इससे पहले, मॉडर्ना की वैक्सीन के बंदरों पर ट्रायल के नतीजे भी शानदार रहे थे। यानी अबतक कुल चार वैक्सीन ऐसी रही हैं जिन्होंने बंदरों में पूरी तरह कोरोना इन्फेक्शन को रोकने में कामयाबी पाई है।
लंदन का इम्पीरियल कॉलेज एक एक्सपेरिमेंट कोविड वैक्सीन का सैकड़ों लोगों पर ट्रायल कर रहा है। छोटे ग्रुप्स पर ट्रायल में सेफ्टी को लेकर कोई परेशानी न आने पर बड़ा ट्रायल शुरू किया गया है। न्यूज एजेंसी एपी से बातचीत में कॉलेज के प्रोफेसर डॉ रॉबिन शैटॉक ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इतनी सारी वैक्सीन के ट्रायल में से कम से कम दो तो काम करेंगी हीं। उन्होंने कहा कि इम्पीरियल कॉलेज की वैक्सीन भी असरदार साबित होगी लेकिन ट्रायल के साइंटिफिक डेटा का इंतजार करना चाहिए।
Moderna Inc को चीन सरकार से जुड़े हैकर्स ने साइबर हमले का निशाना बनाया था। इस हमले के जरिए कोरोना वैक्सीन से जुड़ा रिसर्च चुराने की कोशिश की गई। चीन की हैकिंग ऐक्टिविटी पर नजर रख रहे अमेरिका के सिक्यॉरिटी अधिकारियों ने यह दावा किया है। पिछले हफ्ते अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने दो चीनी नागरिकों पर अमेरिका में जासूसी का आरोप लगाया था।
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रूस ने कहा कि मॉस्को के एक रिसर्च इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को अगले महीने की 10 तारीख तक फाइनल रेगुलेटरी अप्रूवल मिल सकता है। आम जनता के लिए वैक्सीन सिंतबर तक उपलब्ध कराई जा सकती है। हालांकि यह वैक्सीन अभी फेज-2 ट्रायल्स से गुजर रही है, उसके नतीजों के आधार पर इसे शर्तों के साथ मंजूरी दी जा सकती है। पब्लिक यूज के साथ-साथ फेज 3 ट्रायल भी चलता रहेगा।
कोरोना वायरस की वैक्सीनउपलब्ध होने के बाद सबसे पहले किसे मिलनी चाहिए? इस बात पर सरकार के भीतर भी चर्चा चल रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने गुरुवार को ये तो कहा कि इस बारे में कोई आखिरी फैसला नहीं हुआ है। मगर उन्होंने साथ में इशारा जरूर कर दिया कि प्राथमिकता हेल्थ वर्कर्स को मिल सकती है।
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