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UP में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान

अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को दो महीने पहले डीएम को सूचना देनी होगी। इस सूचना पर डीएम पड़ताल करेगा कि विवाह के लिए किसी तरह का दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है। अगर पड़ताल में पता चला कि सिर्फ धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी किया जा रहा है तो उसे अमान्य करार दे दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के खिलाफ लाए गए कानून के तहत पहली प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा चुकी है। कानून के तहत जो कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता/चाहती है, उसे दो महीने पहले डीएम को नोटिस देना होगा। इस नोटिस पर पुलिस जांच-पड़ताल करेगी कि कहीं यह धर्म परिवर्तन जबर्दस्ती, धोखे से या लालच में तो नहीं करवाया जा रहा है। जांच में ऐसी शिकायत नहीं मिलने पर प्रशासन धर्म परिवर्तन की अनुमति देगा। फिर धर्म परिवर्तन होने के बाद इसकी जानकारी प्रशासन को देनी होगी।


Anti Love Jihad Law : उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान

अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को दो महीने पहले डीएम को सूचना देनी होगी। इस सूचना पर डीएम पड़ताल करेगा कि विवाह के लिए किसी तरह का दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है। अगर पड़ताल में पता चला कि सिर्फ धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी किया जा रहा है तो उसे अमान्य करार दे दिया जाएगा।



पब्लिक को धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने का अधिकार
पब्लिक को धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने का अधिकार

यूपी के नए कानून में एक प्रावधान यह भी है कि धर्म परिवर्तन किए जाने के बाद प्रशासन को जानकारी दी जाएगी तो प्रशासन आम लोगों को इस पर आपत्ति प्रकट करने का अधिकार देगा। आशंका यह जताई जा रही है कि इस प्रावधान से विभिन्न धर्मों के उत्पाती लोगों को दखल देने का मौका मिल जाएगा। चूंकि शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है, इसलिए प्रेमी जोड़ों को स्पेशल मैरेज ऐक्ट का सहारा लेना होगा।



​हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने लाया था कानून
​हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने लाया था कानून

कांग्रेस सरकार ने 2006 में धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून पास किया। बीजेपी सरकार ने 2019 में इसमें एक प्रावधान जोड़कर उन शादियों को अमान्य कर दिया जिसमें धर्म परिवर्तन कराया गया हो और यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता/चाहती है, उसे जिला प्रशासन को एक महीने पहले जानकारी देनी होगी। ईसाईयों के संगठनों ने कोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती दी और अदालत ने इस प्रावधान को खारिज कर दिया।



​उत्तराखंड में गैर-जमानती अपराध
​उत्तराखंड में गैर-जमानती अपराध

उत्तराखंड का धर्म स्वातंत्र्य कानून, 2018 धोखे में रखकर, बलपूर्वक, फर्जीवाड़े... आदि के आधार पर की गई शादी और धर्म परिवर्तन को अमान्य करार देता है। कानून इसे गैर-जमानती अपराध मानता है और इसके लिए 1 से 5 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। अगर माता-पिता और भाई-बहन को लगता है कि उसकी संतान का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया है तो कानून उन्हें डीएम के पास शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार देता है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, दोनों राज्यों में कानून है कि जिसका धर्म परिवर्तन हो रहा है, वो अपनी लिखित सहमति डीएम को दे।



​छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के प्रयास पर फिरा पानी
​छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के प्रयास पर फिरा पानी

छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य कानून, 1968 में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के प्रावधानों को शामिल किया गया है। पूर्व की बीजेपी सरकार ने हिंदुत्ववादी संगठनों की ओर से कराए गए धर्म परिवर्तन के मामलों को इस कानून से अलग करने की कोशिश की थी, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।



​मध्य प्रदेश, ओडिशा में ईसाई मिशनरियों की चुनौती
​मध्य प्रदेश, ओडिशा में ईसाई मिशनरियों की चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों की मंजूरी देते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार किसी को धर्म परिवर्तन करवाने का अधिकार नहीं देता है। धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े ज्यादातर कानून जबर्दस्ती या लालच में धर्म परिवर्तन को अमान्य करार देते हैं, लेकिन कोई भी कानून शादी के बाद धर्म परिवर्तन को अमान्य नहीं ठहराता। कुछ राज्यों ने 1960 के दशक में अपने-अपने यहां धर्म परिवर्तन विरोधी कानून लागू किए। इनमें ओडिशा और मध्य प्रदेश शामिल थे क्योंकि वहां ईसाई मिशनरी आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करा रहे थे।



​इन राज्यों के क्या हाल
​इन राज्यों के क्या हाल

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश में 1978 और उसके बाद ऐंटी-कन्वर्जन लॉ लागू किए गए, लेकिन 2004 में इन्हें वापस ले लिया गया।

हरियाणा, एमपी, कर्नाटक, असम भी उत्तर प्रदेश जैसा कानून ही लाने का मन बना रहे हैं।

फ्रीडम ऑफ रिलीज ऐक्ट्स के तहत अन्य आठ राज्यों में इसी तरह के कानून लागू हैं।

राजस्थान का ऐंटी-कन्वर्जन बिल को केंद्र सरकार ने वापस कर दिया।



​सजा में अंतर
​सजा में अंतर

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जिस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया गया है, वह जनरल कैटिगरी से है तो उसके लिए 1 से 5 साल तक और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 2 से 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश के कानून में जनरल कैटिगरी के लिए 1 से 5 साल और एससी/एसटी के लिए 1 से 10 साल की जेल का प्रावधान है। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वालों को 3 से 10 साल की सजा होगी। अगर धर्म परिवर्तन कराने का अपराध दोहराया गया तो सजा भी दोगुनी होगी।





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