पटना होली गुजर जाने के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमाने वाली है। विधानसभा घेराव के दौरान हुए बवाल के बाद हत्या के प्रयास के तहत दर्ज एफआईआर पर फिर से तीखी राजनीति होने का अनुमान है। हालांकि अभी दोनों तरफ से खोमाशी बरती जा रही है। मगर माना जा रहा है कि तूफान से पहले की ये शांति है। अबकी बार, आर-पार? बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों से बदसलूकी को लेकर आरजेडी नई रणनीति बनाने में जुटी है। बिहार विशेष सशस्त्र बल विधेयक पर पूरी तरह से आर-पार के मूड में है। उधर, विधानसभा घेराव के दौरान हुए हिंसक झड़प को लेकर तेजस्वी-तेजप्रताप समेत पार्टी के 21 सीनियर नेताओं पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया गया है। सरकार और विपक्ष दोनों की एक-दूसरे की अगली चाल का इंतजार कर रहे हैं। बैठक में बनेगी रणनीति 23 मार्च के प्रदर्शन को लेकर धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का मुकदमा किया गया है। इसकी जमानत कोर्ट से ही मिल सकती है। होली से पहले 26 मार्च की शाम को राजद नेताओं की बैठक राबड़ी आवास पर हुई थी। इसमें तय किया गया कि कोई भी कोर्ट में जमानत कराने नहीं जाएंगे। सरकार उन्हें गिरफ्तार करे और जेल भेजे। अब करो या मरो वाले तेवर में विपक्ष रहेगा। एक बार फिर से एक बैठक होनी और सड़क पर फिर से आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। इस मुद्दे पर तेजस्वी को अपने सहयोगियों का भी साथ मिल रहा है। रामसूरत राय से शुरु हुआ था विवाद बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान रामसूरत से शुरू हुआ विवाद सशस्त्र बल विधेयक आते-आते हिंसक हो गया। सता और विपक्ष आर-पार के मूड में आ गए। नीतीश सरकार किसी भी सूरत में बिल को पास करवाना चाह रही थी, जबकि विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाह रहा था। बेरोजगारी के मुद्दे पर तेजस्वी ने विधानसभा घेराव का ऐलान किया। जिसमें हिंसक झड़पें हुईं। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन में जबर्दस्त हंगामा किया। स्पीकर को उनके चेंबर से निकलने तक नहीं दिया। फिर विपक्षी विधायकों के साथ बदसलूकी की गई। मगर फिलहाल दोनों तरफ से खामोशी बरती जा रही है।
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