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राष्ट्रीय फलक पर ममता बनर्जी की प्लानिंग, क्या कांग्रेस का विकल्प बनना TMC के लिए आसान है?

नई दिल्‍ली तृणमूल कांग्रेस (TMC)की राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पैठ जमाने की कोशिशें कांग्रेस के लिए चिंता का सबब हैं। ममता बनर्जी के नेतृत्‍व में TMC लगातार कांग्रेस को नजरअंदाज कर रही है। फिर चाहे वह विपक्ष की बैठकें हों या कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले आयोजनों से दूरी, तृणमूल ने अपनी मंशा साफ कर दी है। कांग्रेस के हाथों में विपक्ष का नेतृत्‍व उसे स्‍वीकार नहीं है। ममता लगातार अन्‍य विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रही हैं और अपने पासे फेंक रही हैं। पिछले दिनों वह दिल्‍ली में थीं। इस दौरान उन्‍होंने कांग्रेस नेताओं से दूरी बनाए रखी। MVA के नेताओं से मिलेंगी ममतामंगलवार से ममता तीन दिनों के लिए मुंबई में हैं। यहां उनका मुख्‍यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी के दिग्‍गज शरद पवार से म‍िलने का कार्यक्रम है। हालांकि बाद में खबर आई कि उद्धव खराब तबीयत के चलते ममता से नहीं मिल पाएंगे। पवार से बातचीत में बीजेपी का मुकाबला किस तरह किया जाए, इसपर जरूर बात होगी। मगर लाख टके का सवाल यह है कि तृणमूल कांग्रेस के लिए कांग्रेस का विकल्‍प बनना कितना आसान है? क्‍यों अहम होने वाली हैं ये मुलाकातें?शिवसेना और एनसीपी ने महाराष्‍ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास आघाडी (MVA) बनाया है। इस गठबंधन के दो दलों के नेताओं से ममता की मुलाकात तय है, मगर कांग्रेस के साथ हीं। TMC और कांग्रेस के बीच बढ़ती दूरियों के बीच अगर ममता MVA के बाकी दो दलों से मुलाकात करती हैं तो संदेश साफ जाएगा। कांग्रेस, लेफ्ट को छोड़ बाकी विपक्षी दलों से TMC लगातार संपर्क कर रही है। 'दिल्‍ली आऊं तो सोनिया से मिलूं, जरूरी तो नहीं'पिछले हफ्ते ममता दिल्‍ली में थीं। बुधवार (24 नवंबर) को उन्‍होंने साफ किया वे कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से नहीं मिलेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद पत्रकारों ने उनसे सोनिया से मुलाकात को लेकर सवाल किया था। जवाब आया, 'इस बार मैंने केवल प्रधानमंत्री से समय मांगा था। सारे नेता पंजाब चुनाव को लेकर व्‍यस्‍त हैं। काम पहले... हम हर बार सोनिया से क्‍यों मिलें? यह संवैधानिक बाध्‍यता तो नहीं है।' ममता और सोनिया के रिश्‍ते गर्मजोशी भरे रहे हैं मगर हाल के दिनों में दोनों पार्टियों के रिश्‍ते तल्‍ख होते गए हैं। कैसे बिगड़ते गए TMC-कांग्रेस के रिश्‍ते?पिछले साल तक तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के संबंध मधुर तो नहीं, पर ठीक जरूर थे। फिर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी के नेतृत्‍व में TMC ने बीजेपी को रोककर दिखाया और स्थितियां बदलने लगीं। कई राजनीतिक पंड‍ितों ने लिखा कि ममता के रूप में विपक्ष को मोदी का मुकाबला करने लायक चेहरा मिल गया है। इसी बीच, कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। इनमें गोवा के पूर्व सीएम लुईजिन्हो फलेरो और ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष सुष्मिता देव का नाम शामिल हैं। दोनों को TMC ने पश्चिम बंगाल से राज्‍यसभा भेजा। कांग्रेस के ही कीति आजाद और राहुल गांधी के करीबी रहे अशोक तंवर ने भी हाल में TMC जॉइन कर ली है। कांग्रेस को ताजा झटका मेघालय में लगा जहां उसके 17 में से 12 विधायक, जिनमें पूर्व सीएम मुकुल संगमा भी शामिल हैं, TMC में शामिल हो गए। कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रही तृणमूलTMC ने बार-बार संकेत दिए हैं कि उसे कांग्रेस का नेतृत्‍व स्‍वीकार नहीं। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक में तृणमूल के नेता शरीक नहीं हुए। सोनिया गांधी के नेतृत्‍व में कांग्रेस ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। TMC ने उससे दूरी बनाते हुए अपना अलग प्रदर्शन किया। इससे पहले भी विपक्ष की बैठकों से TMC नदारद रही है। सोनिया और ममता की आखिरी मुलाकात जुलाई में हुई थी। विस्‍तार के मूड में है TMCममता बनर्जी ने दिल्‍ली दौरे पर कहा था कि TMC के विस्‍तार की योजनाएं बन रही हैं। ममता ने पिछले हफ्ते पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाने के भी संकेत दिए थे। यूपी के पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के पोते राजेशपति त्रिपाठी और पड़पोते ललितेशपति त्रिपाठी अक्‍टूबर में TMC का हिस्‍सा बने थे। ममता ने कहा है कि वह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की मदद को तैयार हैं। TMC चीफ ने एक अहम बयान में यह भी कहा था कि उनकी पार्टी ने गोवा में शुरुआत कर दी है, क्षेत्रीय दलों को भी कुछ राज्‍यों में बीजेपी को हराने की तैयारी करनी चाहिए। TMC 2022 में गोवा का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पिछले दिनों जब ममता गोवा गई थीं तो टेनिस स्‍टार लिएंडर पेस समेत कई मशहूर हस्तियां TMC में शामिल हुईं। कांग्रेस का विकल्‍प बन पाना है आसान?TMC जिस रास्‍ते पर है, उसमें कांग्रेस को हटाकर ही आगे बढ़ना होगा। हालांकि पार्टी की बंगाल से इतर बाकी राज्‍यों में उतनी धमक नहीं है। त्रिपुरा में हाल ही में हुए निकाय चुनावों में पार्टी को झटका लगा है। यहां की 334 सीटों में से बीजेपी 329 सीटें जीत गई जबकि TMC को मात्र एक सीट मिली। गोवा में ताल ठोकने जा रही TMC को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर विपक्ष का नेतृत्‍व करने के लिए अभी कड़ी मेहनत करनी होगी। ममता देश की इकलौती महिला मुख्‍यमंत्री हैं और विपक्ष उनमें 2007 की मायावती देख रहा है। तब यूपी का विधानसभा चुनाव जीतीं मायावती को भी प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार बताया जाने लगा था। ये बात दीगर है कि 2012 के बाद से मायावती की ताकत फिर यूपी तक ही सिमट कर रह गई है।


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