'अमल की किताब थी, दुआ की किताब बना दिया...' कुरान पर पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की कविता पढ़िए
नई दिल्ली लखनऊ यूनिवर्सिटी के महमूदाबाद हॉस्टल का कमरा नंबर 101 छात्रों के बीच बड़ा लोकप्रिय है। वजह, इस कमरे में कभी देश के पूर्व राष्ट्रपति रहा करते थे। शर्मा के बारे में मशहूर है कि वे बड़ी सधी हुई अंग्रेजी बोलते थे। हिंदी पट्टी के नेताओं में तब उनके जैसी अंग्रेजी बोलने वाले विरले ही थे। 19 अगस्त, 1918 को भोपाल के पास एक गांव में जन्मे शंकर दयाल शर्मा ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और बाद में वहीं पर काम भी। पढ़ाई करते-करते ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी। मुसलमानों के नाम लिखी वो कविताडॉ शंकर दयाल शर्मा की कुरान पर लिखी एक कविता है जो कई मौकों पर दोहराई जाती है। इस कविता के जरिए डॉ शर्मा कुरान को लेकर मुसलमानों से कई सवाल करते हैं। उस कविता का हिंदी/उर्दू अनुवाद कुछ इस प्रकार है जो पाकिस्तानी पत्रकार हुमायूं गौहर ने किया है। 'अमल की किताब थी दुआ की किताब बना दिया समझने की किताब थी पढ़ने की किताब बना दिया जिंदाओं का दस्तूर था मुर्दों का मंशूर बना दिया जो इल्म की किताब थी उसे लाइल्मों के हाथ थमा दिया तसखीर-ए-कायनात का दरस देने आई थी सिर्फ मदरसों का निसाब बना दिया मुर्दा कौमों को जिंदा करने आई थी मुर्दों को बख्शवाने पर लगा दिया ऐ मुसलमानों! ये तुमने क्या किया?' जब किताब में कराया 'ग' से 'गधा'स्वतंत्रता के बाद, शर्मा को 1952 में कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर भोपाल का मुख्यमंत्री बनाया गया। एक नंवबर 1956 को जब मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ तो इसी में भोपाल राज्य का विलय हो गया। इसके बाद बनी सरकारों में शंकर दयाल शर्मा को बतौर मंत्री शामिल किया गया। मध्य प्रदेश की सरकार में शंकर दयाल शर्मा को शिक्षा मंत्री बनाया गया था। शिक्षा मंत्री बनते ही उन्होंने बच्चों की पाठ्य पुस्तक में 'ग' से गणेश शब्द हटवाकर 'ग' से गधा करवा दिया था। उस वक्त शंकर दयाल शर्मा के इस फैसले का हिंदू महासभा और जनसंघ के लोगों ने काफी विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस की मजबूत सरकार होने के चलते यह मुद्दा दब गया था। बोलते थे ऐसी अंग्रेजी कि सब रह जाते थे दंगइंग्लिश लिटरेचर, हिंदी और संस्कृत में MA की डिग्रियां हासिल करने वाले शर्मा गजब अंग्रेजी बोलते थे। उन्होंने अपनी पीएचडी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की। एक बार मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देने के दौरान उन्होंने ऐसी अंग्रेजी बोली कि सदस्य आपत्ति करने लगे। फिर शर्मा ने हिंदी में जो कहा, वो कुछ यूं है- हम अपने स्टूडेंट्स को जो स्पेशलाइज्ड एजुकेशन इम्पार्ट करना चाहते हैं, उसके सब्जेक्ट्स फुल्ली अंडरस्टैंड किए बिना एक्सप्लेन कैसे किया जा सकता है।' शंकर दयाल शर्मा के वक्तव्य कई सदस्यों को समझ ही नहीं आते थे।
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