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किसानों का विरोध प्रदर्शन आज, 'विश्वासघात दिवस' के जरिए करना क्या चाहते हैं किसान नेता?

नई दिल्ली: () आज देशभर में '' मनाने () जा रहा है। इस दौरान पूरे देश में जिला और तहसील स्तर पर बड़े प्रदर्शन की तैयारी है। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठन जोर-शोर से इसकी तैयारी में जुटे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा। किसानों के साथ हुए कथित धोखे का विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 15 जनवरी की अपनी बैठक में यह फैसला किया था। इन प्रदर्शनों में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमिटी विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए लगातार बैठकें कर रही है। मोदी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप किसान नेताओं का आरोप है कि 15 जनवरी के फैसले के बाद भी भारत सरकार ने 9 दिसंबर के अपने पत्र में किया कोई वादा पूरा नहीं किया है। आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापस लेने और शहीद परिवारों को मुआवजा देने के वादे पर पिछले दो सप्ताह में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। MSP के मुद्दे पर सरकार ने कमेटी के गठन की कोई घोषणा नहीं की है इसलिए मोर्चे ने देशभर में किसानों से आह्वान किया है कि वह 'विश्वासघात दिवस' के माध्यम से सरकार तक अपना रोष पहुंचाएं। यूपी में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाएंगे किसान संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 'मिशन उत्तर प्रदेश' जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी सत्ता को सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर जनता से सख्त फैसला लेने का आह्वान किया जाएगा। 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत होगी। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को 'सजा' देने का संदेश पहुंचाया जाएगा। केंद्र सरकार पर बरसे टिकैत राकेश टिकैत ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द एमएसपी और एक साल तक चले के दौरान जितने भी किसानों के ऊपर केस लगाए गए हैं उनको वापिस लिए जाएं। राकेश टिकैत ने आगे कहा है कि भारत सरकार ने दिल्ली में जो भी वादा किया है उसे पूरा करें। हम चुनाव से अलग हैं हमारा एक मत है हम भी किसी को दे देंगे। मैं किसी का समर्थन नहीं कर रहा। जनता सरकार से ख़ुश होगी तो उन्हें वोट देगी, नाराज़ होगी तो किसी और को वोट देगी। सरकार और किसानों का क्या था कमिटमेंट गौरतलब है कि सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने एक साल से लंबे वक्त तक आंदोलन किया। गुरुपर्व के दिन पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में किसानों से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था। इसके बाद भी किसान आंदोलन से उठने को तैयार नहीं थे। किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार से एमएसपी, किसानों के मुकदमें वापस लेने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने एक प्रपोजल किसानों के पास भेजा था। जिसमें एमएसपी पर कमेटी बनाने की बात कही थी। सरकार ने कहा जैसे ही आंदोलन वापस होगा, जिस विभाग ने केस दर्ज किया है, वह अपने आप केस वापस ले लेंगे।


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