बिजनौर: (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) से को टिकट मिलते ही उनकी प्रोफाइल पर चर्चा होने लगी। कौन हैं, हिंदू हैं फिर कैसे ओवैसी ने टिकट दे दिया। थोड़ी पड़ताल हमने भी की। पता चला उनको टिकट देने के पीछे दो कारण हैं। ललिता कुमारी (Lalita Kumari) के पति और चुनाव आयोग का नियम। ललिता कुमारी के पति इफ्तिखार चौधरी इलाके में पहले से सक्रिय हैं। वो कांग्रेस पार्टी के सक्रिय नेता रहे हैं। इस बार (Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav) में वह कांग्रेस के लिए प्रचार भी शुरू कर चुके थे। तभी ओवैसी की एंट्री से प्रभावित होकर उनकी पार्टी में चले आए। मगर नगीना सीट () से चाहकर भी इफ्तिखार चौधरी चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इसका कारण तकनीकी है। नगीना विधानसभा सीट बिजनौर की ऐसी सीट है जो अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। यहां से इसी वर्ग का कोई व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। और यही नियम इफ्तिखार चौधरी के फेवर में चला गया। उनकी पत्नी ललिता कुमारी अनुसूचित जाति से हैं। लिहाजा टिकट मिलने की संभावना प्रबल थी जो सोमवार को सच में तब्दील हो गई। इस सीट पर ओवैसी की दावेदारी भी इसी के साथ मजबूत हो गई। इसका कारण है नगीना सीट भले ही सुरक्षित सीट है पर यहां मुसलमानों की आबादी लगभग 65000 है। ये संख्या दलितों के बराबर ही है। ऐसे में दलित-मुसलमान समीकरण के जोर से यहां ओवैसी मजबूती दावेदारी पेश कर सकते हैं। AIMIM समर्थक एक ने कहा कि वो ओवैसी की पार्टी से बहुत प्रभावित हैं। इसलिए मिले और उन्होंने टिकट देने का आश्वासन दे दिया था। इसी चैनल से उनकी बेगम ललिता कुमारी भी रू-ब-रू हुईं। ये टिकट कन्फर्म होने से पहले का इंटरव्यू है। इसमें ललिता कहती हैं.. इंशाअल्लाह टिकट मिला तो मैं सभी वर्गों के विकास के लिए हमेशा आगे खड़ी रहूंगी। जब उनसे पूछा जाता है कि प्रियंका गांधी भी लड़की हूं, लड़ सकती हूं के नारे के साथ मैदान में है फिर ओवैसे के साथ क्यों , तो इसका जवाब था - ओवैसी काफी पढ़ी लिखे हैं, इसलिए साथ आई हूं..यही पार्टी है जो सबको साथ लेकर चल सकती है। अल्लाह ताला के करम से हमें हिंदू-मुस्लिम सबका साथ मिल रहा है। नगीना में ओवैसे पहले भी आ चुके हैं। यहीं से उन्होंने मैरिज एक्ट में बदलाव का विरोध करते हुए कहा था कि जब 18 साल की लड़की चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बन सकती है तो शादी क्यों नहीं कर सकती। इसी इलाके से उन्होंने राहुल गांधी पर सवाल उठाते हुए कहा था - अच्छा हिंदू कौन है, तुम्हारे पिताजी जिनके रहते बाबरी मस्जिद का ताला तुड़वाया गया। अब पिछला इतिहास भी इस सीट का संक्षेप में जान लीजिए। 2017 में यहां से समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार पारस को जीत मिली। उन्हें 77145 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी ओमवती देवी को 69178 वोट मिले। बीएसपी के वीरेंद्र पाल तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें 49693 वोट मिले थे।
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