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जामिया में सिन्हा की नियुक्ति, जफरुल ने मौत के बाद बोली जाने वाली लाइन से जताया विरोध

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्‍लाम खान (Zafarul-Islam Khan) का मजहबी चेहरा फिर बेनकाब हुआ है। उन्‍हें जामिया मिलिया इस्‍लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के अंजुमन (सभा या कोर्ट) में राकेश सिन्‍हा (Rakesh Sinha) का शामिल किया जाना बहुत ज्‍यादा अखरा है। जफरुल इस्‍लाम खान की नफरत का सबूत उनका ट्वीट है। उन्‍होंने राज्‍यसभा सदस्‍य राकेश सिन्‍हा की नियुक्ति पर वो लाइनें लिखी हैं जो मुस्लिम समुदाय के लोग इंसान की मौत के बाद बोलते हैं। यह पहली बार नहीं है जब जफरुल इस्‍लाम ने इस तरह की घटिया करतूत की हो। उनके ट्वीट पर कई यूजरों ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्‍हें याद दिलाया कि कभी कुंभ मेला समिति की कमान आजम खान को सौंपी गई थी। सिन्‍हा को संघ विचारक के तौर पर जाना जाता है। जामिया यूनिवर्सिटी के अंजुमन में सदस्‍य के तौर पर उनकी नियुक्‍ति पर ऑनलाइल इस्‍लामिक पब्लिकेशन मिली गैजेट के संस्‍थापक जफरुल इस्‍लाम खान ने घोर निराशा जताई है। इसका कारण सिन्‍हा का राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (आरएसएस) के साथ जुड़ाव है। सिन्‍हा की नियुक्ति 11 फरवरी को हुई थी। खान ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'संघी विचारक को जामिया मिलिया अंजुमन का सदस्‍य बनाया गया है। इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन।' 'इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन' का मतलब होता है कि 'हम अल्लाह के हैं और हमें अल्लाह के पास ही जाना है'। मुस्लिम ये लाइनें उस वक्‍त बोलते हैं जब किसी शख्‍स की मौत हो जाती है या वो कुछ बहुत महत्‍वपूर्ण चीज खो देते हैं। इन लाइनों से उनका क्‍या मतलब था यह अब तक साफ नहीं हुआ है। क्या उनका मतलब था कि जामिया मिलिया अंजुमन अब नहीं रह जाएगी या फिर वो सिन्हा के गुजर जाने की कामना करते हैं। क्‍या करती है यूनिवर्सिटी की अंजुमन कोर्ट? जामिया मिलिया इस्लामिया की अंजुमन कोर्ट विश्वविद्यालय का सर्वोच्च प्राधिकरण है। इसमें 59 सदस्य शामिल हैं। इसमें कुलपति और अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के अलावा लोकसभा के दो सदस्य और राज्यसभा से एक सदस्य भी होता है। अंजुमन कोर्ट के सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होता है। अंजुमन कोर्ट विश्वविद्यालय के निर्णय लेने की प्रक्रिया में हिस्‍सा लेती है। विवादों से जुड़ा रहा है जफरुल इस्‍लाम का नाम जफरुल इस्‍लाम का इतिहास विवादों से घिरा रहा है। ये वही हैं जिन्‍होंने कहा था कि भारत के मुसलमानों ने अभी तक कट्टरपंथियों के अत्‍याचार, लिंचिंग और दंगों की शिकायत अरब और मुस्लिम देशों से नहीं की है। जिस दिन वो ऐसा कर देंगे कट्टरपंथियों पर सैलाब आ जाएगा। इतना ही नहीं जफरुल इस्‍लाम भगोड़े जाकिर नाइक के भी प्रशंसक रहे हैं। नवंबर 2021 में उन्होंने गोधरा में लोगों को जिंदा जलाए जाने को जायज ठहराया था।


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