Russia-Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच जंग का संकट गहराता जा रहा है। पश्चिमी मुल्कों का कहना है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर धावा बोल सकता है। हालांकि, रूस इस आशंका को नकार रहा है। इन सभी अटकलों और आशंकाओं के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने इस युद्ध को टालने का रास्ता बताया है। उन्होंने कहा है कि इस संकट का समाधान कूटनीति है। दोनों पड़ोसियों में तनाव के बीच नए शीत युद्ध (Cold War) जैसी स्थिति के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि सुलह के तरीकों को देखना होगा। जयशंकर ने कहा कि हम कहीं ज्यादा ग्लोबलाइज्ड हो चुके हैं। एक-दूसरे पर निर्भरता भी बढ़ गई है। यह स्थिति बहुत अलग तरह के दृष्टिकोण की मांग करती है। जयशंकर का बयान पर अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की चेतावनी के बाद आया है। हैरिस ने रूस को चेतावनी दी कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। हमले की उसे 'अभूतपूर्व' आर्थिक कीमत चुकानी होगी। ऐसे हमले से यूरोपीय देश अमेरिका के और नजदीक आएंगे। हमला होने की स्थिति में अमेरिका अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा। उपराष्ट्रपति ने जर्मनी में आयोजित वार्षिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यह बयान दिया। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह 'आश्वस्त' हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने का निर्णय ले लिया है। हैरिस ने अपने संबोधन के जरिये यह संदेश दिया कि यूक्रेन पर हमले से नाटो की ओर से रूस पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर कूटनीतिक समाधान निकालने के लिए मॉस्को से बातचीत करने की कोशिश की थी। लेकिन, क्रेमलिन की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आई। जयशंकर भी म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हुए हैं। उन्होंने यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों से आए मंत्रियों के साथ बैठक की। म्यूनिख में इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए विदेश मंत्री ने आईपीआर में चुनौतियों पर भी बात करते हुए कहा कि वे यूरोप के सामने आने वाली चुनौतियों से अलग हैं।
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