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जजों के सरकार समर्थक या सरकार विरोधी होने में कुछ गलत नहीं है... न्यायमूर्ति पटेल का बड़ा बयान

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल ने शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीशों के सरकार समर्थक या सरकार विरोधी होने में कुछ गलत नहीं है क्योंकि उनके समक्ष उपस्थित मुद्दों को लेकर उनका दृष्टिकोण और सोच अलग-अलग हो सकती है तथा इससे कानून का विकास होता है। न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘कुछ न्यायाधीश श्रमिक समर्थक होते हैं, कुछ नियोक्ता समर्थक, कुछ राजस्व समर्थक होते हैं तो कुछ राजस्व/लाभ के खिलाफ होते हैं। कुछ गलत नहीं है। आप लोगों को आलोचना करते देखते हैं... इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि आप श्रमिक समर्थक, नियोक्ता समर्थक, किराएदार समर्थक, मकान मालिक समर्थक, सरकार समर्थक या सरकार के खिलाफ हैं। इस तरह के फैसलों से हमेशा कानून का विकास होता है।’ उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीश सिर्फ कानून की व्याख्या करने वाले होते हैं, वे कानून बनाने वाले या नीति निर्माता नहीं हैं और न्यायिक सक्रियतावाद तथा न्यायिक संयम के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘कानून और न्याय के बीच जब भी अंतर होता है तो अपवाद के रूप में न्यायिक सक्रियतावाद की जरूरत होती है और यह ‘भूमिका का मसला’ नहीं हो सकता है। कानून बनाने का काम संसद का है और कानून की अनुपस्थिति में नीति निर्माण का काम कार्यपालिका का है... इसलिए न्यायिक सक्रियतावाद और न्यायिक संयम के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर (न्याय और कानून के बीच) कोई अंतर है तो, एक न्यायाधीश को उस अंतर को पाटना होगा और वह न्यायिक सक्रियतावाद कहलाएगा। यह अपरिहार्य है। लेकिन यह अपवाद हो सकता है, भूमिका नहीं हो सकती।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हम यहां कानून बनाने के लिए या नई नीतियों के निर्माण के लिए नहीं है, हम यहां सिर्फ कानून की व्याख्या करने के लिए हैं। जैसा कि मैंने कहा, अपवाद के स्वरूप जब भी कानून और न्याय के बीच अंतर होगा, वहां न्यायिक सक्रियता जरूर होगी।’ न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि न्यायाधीशों का प्राथमिक काम न्यायिक आदेशों के माध्यम से न्याय देना है और ‘बार के सदस्य तथा पीठ दोनों की नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी बनती है और हम सभी समाज के सबसे निचले स्तर पर मौजूद व्यक्ति को भी न्याय दिलाने के लिए संविधान के प्रावधानों से आबद्ध हैं।’ विदाई समारोह के दौरान न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा कि न्यायमूर्ति पटेल के सक्रिय दृष्टिकोण के कारण ही दिल्ली उच्च न्यायालय में हुई वर्चुअल सुनवाई और हाईब्रिड सुनवाई की देश के अन्य उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय ने प्रशंसा की।


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