हीराबेन मोदी नहीं रहीं। मां के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता बेहद खास था। जब मोदी बड़े हो रहे थे तो मां घर चलाने को दूसरों के यहां बर्तन मांजा करती थीं। मां पहले ही भांप गई थीं कि मोदी अलग रास्ता पकड़ने वाले हैं। हीराबेन ने बेटे का फैसला मंजूर कर लिया। मोदी खुद कहते हैं, 'मेरी मां का मुझ पर बहुत अटूट विश्वास रहा है।' बेटा पहले संन्यास के रास्ते पर जाता दिखा, फिर राजनीति में आ गया। गुजरात का मुख्यमंत्री बना और आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री। मां के बीमार होने की खबर आते ही बेटा अहमदाबाद के लिए निकल पड़ा था। अस्पताल में हालचाल लिया और वापस देश के काम में लग गया। शुक्रवार को जब हीराबेन के निधन की सूचना आई तो पीएम मोदी तुरंत गांधीनगर पहुंचे। मां के पार्थिव शरीर को निहारा, उन्हें अंतिम प्रणाम किया और पंचतत्व में विलीन करने चल पड़े। मां-बेटे का रिश्ता कितना खास था, ये 5 किस्से साफ कर देंगे।
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