सियासी गलियारों में पिछले कई दिनों से चर्चा गरम थी कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में मोदी सरकार की कैबिनेट में अंतिम फेरबदल हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब चर्चा जोर पकड़ रही है कि कैबिनेट फेरबदल फरवरी के दूसरे हफ्ते में होगा, जब बजट सत्र का पहला चरण समाप्त होगा। मतलब कैबिनेट में एंट्री पाने की उम्मीद और वहां से छुट्टी होने की आशंका रखने वाले तमाम लोगों की धड़कनें अगले कुछ दिन और तेज रहेंगी। वैसे सूत्रों के अनुसार दो दावेदारों को लेकर भी इन दिनों तेज कशमकश देखी जा रही है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट न सिर्फ संभावित फेरबदल में अपनी हिस्सेदारी मांग रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण मंत्रालय की भी चाहत रखता है। उसका मानना है कि चूंकि 2024 चुनावी साल होगा, तो बीजेपी को उनकी जरूरत है। ऐसे में आम चुनाव से पहले बीजेपी उनकी मांगों को नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं लेगी।ऐसी ही हसरत बिहार में चिराग पासवान की भी है। वह भी मंत्रिमंडल में अपने लिए अच्छा सा एक मंत्रालय चाहते हैं। अगर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो यह उनकी एनडीए में औपचारिक वापसी भी होगी। शिंदे गुट की तरह चिराग का भी यही मानना है कि बिहार में बीजेपी को सहयोगी की सख्त जरूरत है, जिस वजह से उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन यहां अड़चन यह है कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस पहले से ही केंद्र सरकार में शामिल हैं, और बीजेपी चाचा-भतीजा दोनों को सरकार में जगह देने के पक्ष में नहीं है।
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