लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व उप प्रधानमंत्रीगुरुवार, 26 जून, 1975, बंगलौर: सुबह के करीब 7.30 बजे हैं। टेलिफोन की घंटी बजने लगी। श्यामनंदन मिश्र, जिनके साथ मैं विधायक निवास की पहली मंजिल के कमरे में ठहरा हुआ हूं, उन्होंने रिसीवर उठाया, लेकिन तुरंत ही यह कहते हुए कि ‘फोन आपके लिए है’, रिसीवर मेरी तरफ बढ़ा दिया। हम लोग यहां कल संसद की संयुक्त प्रवर समिति की बैठक में भाग लेने आए थे। फोन स्थानीय जनसंघ कार्यालय से आया है। मेरे लिए दिल्ली से कोई अविलंब संदेश है। जनसंघ के एक सचिव रामभाऊ गोडबोले ने प्रातः 3.30 के करीब यह कहला भेजा था कि जयप्रकाश नारायण गिरफ्तार कर लिए गए। गिरफ्तारियां जारी हैं। संदेश में कहा गया था कि पुलिस अटल बिहारी वाजपेयी और मेरे लिए आ ही रही होगी। अटलजी भी प्रवर समिति के सदस्य हैं और वह हमसे दो दिन पहले यहां आ गए हैं। मैंने यह संदेश श्याम बाबू को बताया और अटलजी को बताने के लिए उनके कमरे की तरफ गया। हमने आपस में विचार किया कि हममें से किसी को भी गिरफ्तारी से कतराना नहीं चाहिए। वे आएं और जहां चाहें, पकड़कर ले जाएं। अपने कमरे में लौटकर मैंने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के एन. बालू को फो...