नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के उन इलाकों में मीडिया अभी पहुंच भी नहीं पा रहा है, जहां हिंसा चरम पर थी। गाड़ियां जलाई गईं, दुकाने लूटी गईं, पूरी मार्केट जला दी गई। वहां नवभारत टाइम्स के 2 पत्रकार रात में पहुंचे। इस दौरान उनके आईडी कार्ड कई बार चेक किए गए। लोगों में बहुत गुस्सा था। रोहित उपाध्याय और मोहम्मद असगर ने लोगों से बात की। दोनों ने उनका जो गुस्सा देखा, दर्द सुना, उसकी रिपोर्ट। दंगे से झुलसी नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का रियलिटी चेक 'अरे भाई, अस्पताल छोड़ दो। बहुत खून बह रहा है। देखो ये सारा कपड़ा खून में सन गया है। मर जाएगा ये। कोई मदद नहीं कर रहा। पुलिस भी नहीं।' ये अल्फाज हैं 18-19 साल के लड़के के, जो अपनी हमउम्र के लड़के को कंधे पर उठाए सड़क पर दौड़ रहा है। बदहवास। खौफजदा। परेशान। लड़का कंधे पर बेहोश। इनके साथ एक और लड़का है। रात के पौने 11 बजे हैं। जगह है, दयालपुर थाने से चंद कदम की दूरी। सड़कों पर पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के अलावा कोई नजर नहीं आ रहा है। बस सन्नाटे को चीरती हुई सायरन की आवाजें, जिंदा होने का एहसास करा रही हैं। इन इलाकों में गाड़ियां जला दी गई हैं, दुकानें लूट ल...